बौद्ध सभाएँ (बौद्ध संगीति)
बौद्ध संगीतियों के आयोजन,स्थल,अध्यक्ष की सूची
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बौद्ध संगीति का तात्पर्य उस ‘संगोष्ठी’ या ‘सम्मेलन’ या ‘महासभा’ से है इन संगीतियों को प्राय: ‘धम्म संगीति’ (धर्म संगीति) कहा जाता था। संगीति का अर्थ होता है कि ‘साथ-साथ गाना’।
सभा | समय | स्थान | अध्यक्ष | शासनकाल |
प्रथम बौद्ध संगीति | 483 ई.पू. में | राजगृह | महाकस्सप उपलि | अजातशत्रु |
द्वित्तीय बौद्ध संगीति | 383 ई.पू. में | वैशाली | सब्ब्कामि या सबाकामी | कालाशोक |
तृतीय बौद्ध संगीति | 250 ई.पू. में | पाटलिपुत्र | मोग्गलिपुत्त तिस्स | अशोक |
चतुर्थ बौद्ध संगीति | 72 ईस्वी में | कुण्डलवन, कश्मीर में | अध्यक्ष “वसुमित्र” और उपाध्यक्ष “अश्वघोष” थे| | कनिष्क |
पांचवां बुद्ध संगीति | 1871 ईस्वी में | मांडले, बर्मा में | अध्यक्ष “जगरभिवामसा”, “नारिन्दभीधजा” और “सुमंगल्समी” | मिन्दन मिन |
छठी बुद्ध संगीति | 1954 ईस्वी में | काबा अये में | अध्यक्ष “महसि सयादव” और “भंदंता विसित्तसाराभिवाम्सा” | बर्मा सरकार के संरक्षण में प्रधानमंत्री “यू नू” के नेतृत्व में |
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