हिन्दी के तद्भव – तत्सम
हिन्दी के तद्भव – तत्सम
बोलने की अशुद्धियों के कारण बने शब्द तत्भव (तत् + भव = उससे उत्पन्न) शब्द कहलाते है तथा शुद्ध शब्द तत्सम(संस्कृत से लिए गए) कहलाते है
दोस्तों आज हम पढेंगें हिन्दी के तद्भव – तत्सम के बारे में जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा चुके.
पूरा पढ़ने के बाद कैसा लगा ये Topic (हिन्दी के तद्भव – तत्सम) हमें comment में जरूर बतायें। मैं आपके स्नेह का बहुत आभारी रहुगां !!!
तत्सम — तद्भव
धैर्य — धीरज
धूम — धुँआ
दंत — दाँत
धर्म — धरम
नृत्य — नाच
निर्वाह — निवाह
निम्ब — नीम(imp)
नकुल — नेवला(imp)
नयन — नैन(imp)
नव — नौ
स्नेह — नेह(imp)
पक्ष — पख(imp)
परीक्षा — परख(imp)
पार्ष्व — पड़ोसी(imp)
पृष्ठ — पीठ(imp)
पुष्कर — पोखर(imp)
पूर्ण — पूरा
पंचम — पाँच
पौष — पूस
पूर्व — पूरब
पंचदष — पंद्रह
पक्षी — पंछी
पक्क — पका
पट्टिका — पाटी
प्रकट — प्रगट
वाणिक — बनिया
पवन — पौन
प्रिय — पिय
पुच्छ — पूंछ
पर्पट — पापड़
वक — बगुला
बंध्या — बाँझ
वधू — बहू(imp)
भगिनी — बहन(imp)
विष्ठा — बींट
वृष्चिक — बिच्छु
दीप — दीया
द्विवर — देवर(imp)
वीण — वीना
रक्षा — राखी
रज्जु — रस्सी
राषि — रास
रिक्त — रीता
लज्जा — लाज(imp)
लौहकार — लुहार
लवणता — लुनाई
लेपन — लीपना
सर्सप — सरसों(imp)
श्रावण — सावन(imp)
लक्ष्मण — लखन
शर्करा — शक्कर(imp)
सपत्नी — सौत
स्वर्णकार — सुनार
शूकर — सुअर(imp)
शाप — श्राप
विकार — विगाड़
भक्त — भगत
भद्र — भला
भ्रात्जा — भतीजी
भिक्षा — भीख
भ्रमर — भौरां
भ्रू — भौं
भस्म — भस्मि
मित्र — मीत
मेध — मेह
मृत्यु — मौत
मयूर — मोर(imp)
मुषल — मूसल
नम्र — नरम
नासिका — नाक(imp)
फणि — फण(imp)
पद्म — पदम
परखः — परसों
पाष — फंदा
पुहुप — पुष्प
प्रस्वेद — पसीना
मनुष्य — मानुस
महिषि — भैस
मार्ग — मारग
मृत — घट्ट/मरघट
मरीच — मिर्च
रूदन — रोना
ऋक्ष — रीछ
शैया — सेज
शुष्क — सूखा
शृंग — सींग
शिक्षा — सीख
हस्ती — हाथी
हट्ट — हाट
होलिका — होली
हृदय — हिय
हंडी — हाँड़ी
वचन — बचन
व्यथा — विथा
शुक — सुआ
वर्षा — बरसात
विधुत — बिजली
श्याली — साली
श्मषान — मसान
सर्प — साँप
यषोदा — जसोदा
मस्तक — माथा
मुख — मुँह
धूम — धुँआ
दंत — दाँत
धर्म — धरम
नृत्य — नाच
निर्वाह — निवाह
निम्ब — नीम(imp)
नकुल — नेवला(imp)
नयन — नैन(imp)
नव — नौ
स्नेह — नेह(imp)
पक्ष — पख(imp)
परीक्षा — परख(imp)
पार्ष्व — पड़ोसी(imp)
पृष्ठ — पीठ(imp)
पुष्कर — पोखर(imp)
पूर्ण — पूरा
पंचम — पाँच
पौष — पूस
पूर्व — पूरब
पंचदष — पंद्रह
पक्षी — पंछी
पक्क — पका
पट्टिका — पाटी
प्रकट — प्रगट
वाणिक — बनिया
पवन — पौन
प्रिय — पिय
पुच्छ — पूंछ
पर्पट — पापड़
वक — बगुला
बंध्या — बाँझ
वधू — बहू(imp)
भगिनी — बहन(imp)
विष्ठा — बींट
वृष्चिक — बिच्छु
दीप — दीया
द्विवर — देवर(imp)
वीण — वीना
रक्षा — राखी
रज्जु — रस्सी
राषि — रास
रिक्त — रीता
लज्जा — लाज(imp)
लौहकार — लुहार
लवणता — लुनाई
लेपन — लीपना
सर्सप — सरसों(imp)
श्रावण — सावन(imp)
लक्ष्मण — लखन
शर्करा — शक्कर(imp)
सपत्नी — सौत
स्वर्णकार — सुनार
शूकर — सुअर(imp)
शाप — श्राप
विकार — विगाड़
भक्त — भगत
भद्र — भला
भ्रात्जा — भतीजी
भिक्षा — भीख
भ्रमर — भौरां
भ्रू — भौं
भस्म — भस्मि
मित्र — मीत
मेध — मेह
मृत्यु — मौत
मयूर — मोर(imp)
मुषल — मूसल
नम्र — नरम
नासिका — नाक(imp)
फणि — फण(imp)
पद्म — पदम
परखः — परसों
पाष — फंदा
पुहुप — पुष्प
प्रस्वेद — पसीना
मनुष्य — मानुस
महिषि — भैस
मार्ग — मारग
मृत — घट्ट/मरघट
मरीच — मिर्च
रूदन — रोना
ऋक्ष — रीछ
शैया — सेज
शुष्क — सूखा
शृंग — सींग
शिक्षा — सीख
हस्ती — हाथी
हट्ट — हाट
होलिका — होली
हृदय — हिय
हंडी — हाँड़ी
वचन — बचन
व्यथा — विथा
शुक — सुआ
वर्षा — बरसात
विधुत — बिजली
श्याली — साली
श्मषान — मसान
सर्प — साँप
यषोदा — जसोदा
मस्तक — माथा
मुख — मुँह
अनार्य — अनाड़ी
आश्विन — आसोज
आश्चर्य — अचरज
अक्षर — अच्छर
अगम्य — अगम
अक्षत — अच्छत
आर्य — आरज
अक्षय — आखा
अष्टादश — अठारह
अग्नि — आग
आम्रचूर्ण — अमचूर
आमलक — आँवला
अमूल्य — अमोल
अंगुलि — अँगुरी
अक्षि — आँख
अर्क — आक
अट्टालिका — अटारी
अशीति — अस्सी
ईर्ष्या — ईर्षा
उज्ज्वल — उजला
उद्वर्तन — उबटन
उत्साह — उछाह
ऊषर — ऊसर
उलूखल — ओखली
उच्छवास — उसास
किरण — किरन
कटु — कड़वा
कपर्दिका — कौड़ी
कर्तव्य — करतब
कृष्ण — किसन
कार्तिक — कातिक
कार्य — कारज
आश्विन — आसोज
आश्चर्य — अचरज
अक्षर — अच्छर
अगम्य — अगम
अक्षत — अच्छत
आर्य — आरज
अक्षय — आखा
अष्टादश — अठारह
अग्नि — आग
आम्रचूर्ण — अमचूर
आमलक — आँवला
अमूल्य — अमोल
अंगुलि — अँगुरी
अक्षि — आँख
अर्क — आक
अट्टालिका — अटारी
अशीति — अस्सी
ईर्ष्या — ईर्षा
उज्ज्वल — उजला
उद्वर्तन — उबटन
उत्साह — उछाह
ऊषर — ऊसर
उलूखल — ओखली
उच्छवास — उसास
किरण — किरन
कटु — कड़वा
कपर्दिका — कौड़ी
कर्तव्य — करतब
कृष्ण — किसन
कार्तिक — कातिक
कार्य — कारज
कंकण — कंगन
कुपुत्र — कपूत(imp)
काष्ठ — काठ
कर्म — काम
किंचित — कुछ
कदली — केला
कुक्षि — कोख
केवर्त — केवट
क्षीर — खीर
क्षेत्र — खेत
गायक — गवैया
गर्दभ — गधा
ग्रंथि — गाँठ
गोधूम — गेहूँ
ग्रामीण — गँवार
गोमय — गोबर
गृहिणी — घरनी
धृत — घी
चंद्र — चाँद
चंडिका — चाँदनी
चित्रकार — चितेरा
चतुष्पद — चौपाया
चैत्र — चैत
छिद्र — छेद
यमुना — जमुना
यज्ञोपवीत — जनेऊ
ज्येष्ठ — जेठ
जामाता — जवाई
जिह्वा — जीभ
ज्योति — जोत
यव — जौ
दंष्ट्रा — दाढ़
तपस्वी — तपसी
त्रीणि — तीन
तुंद — तोंद
स्तन — धन
दधि — दही(imp)
दंत धावन — दातुन
दीपशलाका — दीया सलाई
दीपावली — दीवाली
दृष्टि — दीठि
दूर्वा — दूब
दुग्ध — दूध
द्विप्रहरी — दुपहरी
धरित्री — धरती
धूम — धुंआ
नक्षत्र — नखत
नापित — नाई
निष्ठुर — निठुर
निद्रा — नींद
नयन — नैन
पर्यंक — पलंग
प्रहर — पहर
पंक्ति — पंगत
पक्वान्न — पकवान
पाषाण — पाहन
प्रतिच्छाया — परछाई
पत्र — पत्ता
फाल्गुन — फागुन
वज्रांग — बजरंग
वल्स — बच्चा/बछड़ा
वरयात्रा — बरात
बलीवर्द — वैल(imp)
बली वर्द — वींट
विवाह — ब्याह
व्याघ्र — बाघ
भक्त — भगत
भिक्षुक — भिखारी
बुभुक्षित — भूखा
भाद्रपद — भादौं
मक्षिका — मक्खी(imp)
मशक — मच्छर
मिष्टान्न — मिठाई
मौक्तिक — मोती
मर्कटी — मकड़ी
मश्रु — मूँछ
राजपुत्र — राजपूत
लौह — लोहा
लवंग — लौंग
लोमशा — लोमड़ी
सप्तशती — सतसई
स्वप्न — सपना
साक्षी — साखी
सौभाग्य — सुहाग
श्वसुर — ससुर(imp)
श्यामल — साँवला
श्रेष्ठी — सेठी
शृंगार — सिंगार
हरिद्रा — हल्दी
हास्य — हँसी
एला — इलायची
नारिकेल — नारियल
वट — बड़
अमृत — अमिय
वधू — बहू
अज्ञान — अजान
कुपुत्र — कपूत(imp)
काष्ठ — काठ
कर्म — काम
किंचित — कुछ
कदली — केला
कुक्षि — कोख
केवर्त — केवट
क्षीर — खीर
क्षेत्र — खेत
गायक — गवैया
गर्दभ — गधा
ग्रंथि — गाँठ
गोधूम — गेहूँ
ग्रामीण — गँवार
गोमय — गोबर
गृहिणी — घरनी
धृत — घी
चंद्र — चाँद
चंडिका — चाँदनी
चित्रकार — चितेरा
चतुष्पद — चौपाया
चैत्र — चैत
छिद्र — छेद
यमुना — जमुना
यज्ञोपवीत — जनेऊ
ज्येष्ठ — जेठ
जामाता — जवाई
जिह्वा — जीभ
ज्योति — जोत
यव — जौ
दंष्ट्रा — दाढ़
तपस्वी — तपसी
त्रीणि — तीन
तुंद — तोंद
स्तन — धन
दधि — दही(imp)
दंत धावन — दातुन
दीपशलाका — दीया सलाई
दीपावली — दीवाली
दृष्टि — दीठि
दूर्वा — दूब
दुग्ध — दूध
द्विप्रहरी — दुपहरी
धरित्री — धरती
धूम — धुंआ
नक्षत्र — नखत
नापित — नाई
निष्ठुर — निठुर
निद्रा — नींद
नयन — नैन
पर्यंक — पलंग
प्रहर — पहर
पंक्ति — पंगत
पक्वान्न — पकवान
पाषाण — पाहन
प्रतिच्छाया — परछाई
पत्र — पत्ता
फाल्गुन — फागुन
वज्रांग — बजरंग
वल्स — बच्चा/बछड़ा
वरयात्रा — बरात
बलीवर्द — वैल(imp)
बली वर्द — वींट
विवाह — ब्याह
व्याघ्र — बाघ
भक्त — भगत
भिक्षुक — भिखारी
बुभुक्षित — भूखा
भाद्रपद — भादौं
मक्षिका — मक्खी(imp)
मशक — मच्छर
मिष्टान्न — मिठाई
मौक्तिक — मोती
मर्कटी — मकड़ी
मश्रु — मूँछ
राजपुत्र — राजपूत
लौह — लोहा
लवंग — लौंग
लोमशा — लोमड़ी
सप्तशती — सतसई
स्वप्न — सपना
साक्षी — साखी
सौभाग्य — सुहाग
श्वसुर — ससुर(imp)
श्यामल — साँवला
श्रेष्ठी — सेठी
शृंगार — सिंगार
हरिद्रा — हल्दी
हास्य — हँसी
एला — इलायची
नारिकेल — नारियल
वट — बड़
अमृत — अमिय
वधू — बहू
अज्ञान — अजान
अगाणित — अनगणित
अंचल — आँचल
अँगरखा — अंगरक्षक(imp)
अन्यत्र — अनत
अंधकार — अँधेरा
आषिष् — असीस
अमृत — अमीय
अमावस्या — अमावस
अर्पण — अरपन
अंगुष्ट — अँगूठा
आश्रय — आसरा
अर्द्ध — आधा
आलस्य — आलस
अम्लिका — इमली
इक्षु — ईख
इष्टिका — ईंट
उत्साह — उछाह
उच्च — ऊँचा
उलूक — उल्लू(imp)
एकत्र — इकट्ठा
कच्छप — कछुआ
क्लेष — कलेष
कर्ण — कान
कुंभकार — कुम्हार
कष्ठ — कोढ़
अंचल — आँचल
अँगरखा — अंगरक्षक(imp)
अन्यत्र — अनत
अंधकार — अँधेरा
आषिष् — असीस
अमृत — अमीय
अमावस्या — अमावस
अर्पण — अरपन
अंगुष्ट — अँगूठा
आश्रय — आसरा
अर्द्ध — आधा
आलस्य — आलस
अम्लिका — इमली
इक्षु — ईख
इष्टिका — ईंट
उत्साह — उछाह
उच्च — ऊँचा
उलूक — उल्लू(imp)
एकत्र — इकट्ठा
कच्छप — कछुआ
क्लेष — कलेष
कर्ण — कान
कुंभकार — कुम्हार
कष्ठ — कोढ़
कर्पट — कपड़ा(imp)
कर्पूर — कपूर(imp)
कपोत — कबूतर
कपाट — किवाड़
कोष्ठ — कोठा
कूप — कुआँ
कास — खाँसी
क्रूर — कूर
गोस्वामी — गुसाई
गोंदुक — गेंद
ग्राम — गाँव
गोपालक — ग्वाला
गृह — घर
घटिका — घड़ी
गर्मी — घाम
कर्पूर — कपूर(imp)
कपोत — कबूतर
कपाट — किवाड़
कोष्ठ — कोठा
कूप — कुआँ
कास — खाँसी
क्रूर — कूर
गोस्वामी — गुसाई
गोंदुक — गेंद
ग्राम — गाँव
गोपालक — ग्वाला
गृह — घर
घटिका — घड़ी
गर्मी — घाम
चिक्कण — चिकना
चूर्ण — चूरन
चर्वण — चबाना
क्षति — छति
छाया — छाँह
क्षीण — छीन
क्षत्रिय — खत्री(imp)
युक्ति — जुगति
ज्योति — जोत
दुर्बल — दुबला(imp)
दुःख — दुख(imp)
दक्षिण — दाहिना
चूर्ण — चूरन
चर्वण — चबाना
क्षति — छति
छाया — छाँह
क्षीण — छीन
क्षत्रिय — खत्री(imp)
युक्ति — जुगति
ज्योति — जोत
दुर्बल — दुबला(imp)
दुःख — दुख(imp)
दक्षिण — दाहिना
तो यहाॅ हमने हिन्दी के तद्भव – तत्सम के बारे में जाना, इसी तरह की और जानकारी की लिये हमारे website से जुड़े और हमें subscribe करें
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